क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 21
दुर्जन दरवाज़े पर खड़े हो कर अंजली को आवाज़ देता। तभी मंजू दरवाज़ा खोलती और कहती " काका अंजली कमरे में नही हे "
"क्या मतलब कमरे में नही हे " दुर्जन ने पूछा
"काका वो बाहर गयी थी किसी काम से लेकिन अभी तक नही लोटी " मंजू ने घबराते हुए कहाँ
" आखिर अपनी शादी वाले दिन वो कहाँ जा सकती हे "दुर्जन ने कहा
" काका वो बात इस तरह हे कि,,,,,, " मंजू कहते कहते चुप हो गयी
"क्या बात हे बेटा घबराओं मत जो कुछ भी हे मुझे बताओ " दुर्जन ने कहा
" काका दरअसल अंजली के पास एक चिट्ठी आयी थी उसका कहना था कि वो चिट्ठी अमित ने भेजी हे शायद वो शादी से पहले उससे मिलना चाह रहा था, इसलिए अंजली पीछे के दरवाज़े से अमित से मिलने चली गयी लेकिन अब काफी देर हो गयी और उसकी खबर भी नही आयी कोइ " मंजू ने बताया
" अमित ने, लेकिन अमित तो बारात लेकर आ चूका हे " दुर्जन ने पूछा
" जी काका यही तो समस्या हे कि अगर अमित बारात लेकर आ गया हे तो फिर अंजली कहा चली गयी उसे भी अब तक आ जाना चाहिए था " मंजू ने कहा
दुर्जन ये सुन घबरा सा गया और अपने दिल पर हाथ रख कर बोला " भगवान मेरी बेटी की रक्षा करना उसके साथ कुछ बुरा मत होने देना वरना मैं जीते जी मर जाऊंगा "
आप भरोसा रखे काका, अंजली सही सलामत घर आ जाएगी जरूर आपसे दूर जाने की वजह से अमित से मिलकर वापस आने पर कही बैठ कर रो रही होगी और उसे समय का आभास भी नही हुआ होगा जल्द आ जाएगी, मैं अभी अमित को बुलाकर पूछती हूँ कि अंजली उससे मिलकर घर क्यू नही आयी । मंजू ने दुर्जन को समझाते हुए कहा .
बाहर अमित के घर वाले बैठे दुल्हन के आने का इंतज़ार कर रहे थे ।
"बड़ी देर कर दी समधी जी ने अंजली बिटिया को बाहर लाने में " अमित कि माँ ने कहा
"अरे! भाग्येवान ले आएंगे आज वो अपनी बेटी से जी भर कर बाते कर रहे होंगे थोड़ी देर बाद वैसे भी वो उन्हें छोड़ हमारे साथ चली जाएगी हमारी बेटी बनकर " अमित के पिता ने अमित कि माँ से कहा
अमित भी चिंतित था और उतावला था अंजली को दुल्हन बना देखने के लिए ।
तभी वहा मंजू आती और अपने सास ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लेती
उसकी सास उससे कहती "बड़ी जल्दी तुम्हे याद आ गया कि बाहर तुम्हारे सास ससुर तुम्हरा इंतज़ार कर रहे हे कुछ ज्यादा ही खुश हो अपनी दोस्त कि शादी को लेकर "
मंजू सर झुका कर सारी बात सुनती वो बता नही सकती थी कि क्या मुसीबत आन पड़ी हे उस पर ।
उसने इशारे से राकेश को बुलाया और उससे अमित को अंदर कमरे में ले जाने को कहा ।
"क्या हुआ मंजू इतनी घबराई क्यू हो? और अमित से क्या काम हे " राकेश ने पूछा
" राकेश जी मैं आपको सब बता दूँगी लेकिन पहले आप किसी बहाने से अमित को अंदर ले जाए मुझे उससे कुछ पूछना हे " मंजू ने कहा
" ठीक हे मैं लाता हूँ तुम जाओ अंदर कमरे में " राकेश ने कहा और अमित के पास चला गया
राकेश अमित के कान में बताता कि अंदर कमरे में मेरे साथ चल कुछ ज़रूरी बात करनी हे ।
"क्या बात हे भाई सब ठीक तो हे " अमित ने पूछा और उसके साथ चल दिया
अमित की माँ ने उसे देख लिया और वो उसके पीछे पीछे जाने लगी ।
अमित कमरे में पहुँचता और वहा मंजू और दुर्जन को परेशान हालत में देखता और पूछता
"काका क्या हुआ आप लोगो ने मुझे यहाँ क्यू बुलाया हे अंजली तो ठीक हे तैयार नही हुयी क्या वो अभी तक " अमित ने घबराते हुए पूछा
"मंजू तुम ही कुछ बताओ क्या हुआ हे " राकेश ने मंजू से पूछा
मंजू अमित से पूछती हे " कि वो अंजलि से उसकी आख़री बार बात कब हुयी थी "
"कल रात फ़ोन पर उससे बात हुयी थी , क्यू क्या हुआ तुम ये क्यू पूछ रही हो " अमित ने जवाब दिया
मंजू दुर्जन कि तरफ देखती और फिर अमित से पूछती " अमित तुम मज़ाक कर रहे हो ना तुम अभी भी अंजली से मिलकर आ रहे हो "
ये सुन अमित कहता " नही भाभी आप को कोइ गलत फेहमी हुयी होगी मैं तो आज घर से बाहर निकला ही नही हूँ, आप चाहे तो राकेश से पूछ लीजिये "
राकेश ने कहा " ये सही कह रहा हे, बस ये नाई कि दुकान पर गया था अपने सिर के बाल कटवाने और शेव करने और मैं भी इसके साथ था , क्या हुआ तुम ये क्यू पूछ रही हो "
"बेटा तो तुम्हारे कहने का मतलब हे कि आज तुम अंजली से नही मिले " दुर्जन ने खड़े हो कर कहा
" जी काका, यही मतलब हे मेरा मैं उसे फ़ोन करता लेकिन दोपहर को ही मेरा फ़ोन ख़राब हो गया था , अंजलो को कुछ हुआ हे क्या " अमित ने घबराते हुए पूछा
"इसका मतलब तुमने उसे कोइ चिट्ठी नही भेजी और मिलने नही बुलाया था " मंजू ने पूछा
" चिट्ठी और मैं, अगर मुझे उससे मिलना होता तो मैं उसे कॉल करता चिट्ठी क्यू भेजता " अमित ने कहा
" हे! भगवान अंजली कि मदद करना वो जरूर किसी मुसीबत में हे "दुर्जन ने आँखों में आंसू भर कर कहा ।
"मंजू बात क्या हे शुरू से बताओ " राकेश ने पूछा
मंजू उसे बताती हे कि " एक बच्ची आयी थी एक चिट्ठी लेकर और अंजली को दी और चली गयी अंजली ने वो चिट्ठी पड़ी जिसपर लिखा था कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी "
बाहर दरवाज़े पर खड़ी अमित की माँ जब ये सुनती तो तुरंत अन्दर आती और कहती " क्या माजरा हे समधी जी आप सब लोग यहाँ क्यू इकठ्ठा हे और अंजली कहा हे और ये मंजू किस चिट्ठी कि बात कर रही थी अभी , "
" आंटी जी ऐसा कुछ नही हे जैसा आप समझ रही हे " मंजू ने घबराते हुए कहा
" मेने पूछा अंजली कहा हैं और तुम किस चिट्ठी कि बात कर रही थी किसने उसे मिलने बुलाया था शादी से पहले " अमित कि माँ ने चीख कर कहा।
उसकी आवाज़ सुन बाहर खड़े लोग घबरा गए और एक दूसरे से पूछने लगे क्या हुआ और कमरे कि तरफ़ दौड़े
अंजली की दादी भी कमरे की तरफ चलने लगी और बोली " हे! भगवान सब ठीक हो, कही इस करमजली ने अपनी माँ का जोड़ा पहनने को तो नही कह दिया अपनी सास से
"माँ सम्भालो खुद को अंजली कही नही गयी हैं बस कुछ गलत फेहमी हो गयी हैं जो अभी हल हो जाएगी " अमित ने अपनी माँ को समझाते हुए कहा ।
"क्या हुआ दुर्जन? " दुर्जन की माँ ने पूछा
दुर्जन अपनी माँ को चिपट कर रोते हुए कहता "माँ अंजली कमरे में नही हैं पता नही मेरी बेटी कहा हैं
बाहर खड़े लोगो को जब पता चला की अंजली कही चली गयी तो सब आपस में बाते करने लगे " लगता हैं किसी और के साथ भाग गयी , शायद शादी उसकी मर्ज़ी से नही हो रही थी "
दुर्जन रोते हुए " मेरी बेटी ना जाने किस मुसीबत में होगी "
" काका आप परेशान मत हो हम उसे ढूंढ लेंगे " अमित ने कहा
"भाभी चिट्ठी में क्या लिखा था कहा मिलने बुलाया था उसे " अमित ने पूछा
मंजू घबराते हुए "न,,,,, न,,,, नदी के पास बुलाया था और नीचे लिखा था तुम्हारा प्रेमी "
"चलये सब नदी के पास चलते हैं " अमित ने कहा
" रुको अमित पहले जरा ये तो जान ले की समधी जी अंजली की मर्ज़ी के बाद ही उसकी शादी करा रहे थे या फिर इन्होने हमसे झूठ बोला की अंजली राज़ी हैं, या फिर इनकी बेटी किसी और को पसंद करती थी और उसके भाग जाने के डर से इन्होने जबरदस्ती उसकी शादी तुम्हारे साथ जोड़ दी " अमित की माँ ने कहा
" नही नही समधन जी ऐसा कुछ नही हैं, मेरी बेटी तो गंगा की तरह पवित्र हैं जितनी मर्ज़ी मेरी इस शादी को लेकर थी उतनी ही उसकी मर्ज़ी भी शामिल थी " दुर्जन ने कहा
" हम कैसे मान ले, अगर वो राज़ी थी तो अपने प्रेमी की चिट्ठी पढ़ उससे मिलने क्यू गयी " अमित की माँ ने कहा
" आंटी जी मेरी दोस्त को लगा की वो चिट्ठी अमित ने भेजी हैं इसलिए वो उससे मिलने नदी पर गयी जहाँ वो पहली दफा ,,,,,,,,। मंजू कहते कहते चुप हो जाती हैं
"क्या पहली दफा ? बताओ मंजू " दुर्जन ने पूछा
मंजू ने अमित की तरफ़ देखा
अमित काका मैं बताता हूँ भाभी क्या कहना चाह रही हैं " काका अंजली और मैं एक दूसरे को पहले से जानते हैं जब मेने उसे पहली बार राकेश की सगाई में देखा था और उसके बाद जब परीक्षा में, मेरी ड्यूटी उसी के क्लास में लगी उसके बाद हम लोग आखिरी बार नदी पर मिले थे और वही से हमारी दोस्ती शुरू हुयी और फिर खतों का सिलसिला चालू हो गया । "
दुर्जन ये सब सुन काफी उदास हुआ।
उसकी माँ बोली " देख अपनी बेटी की करतूते जिसे तू गंगा की तरह पवित्र समझता था वो देख तेरी नाक के नीचे क्या गुल खिला रही थी बस इसी दिन से डरती थी "
" दादी अंजली की कोइ गलती नही हैं इसमें " अमित ने कहा
" बस कर अमित बस कब तक तू यूं ही बेवक़ूफ़ बनता रहेगा वो लड़की जब तुझे अपने जाल में फँसा सकती हे तो क्या कोइ और नही फसा होगा उसके जाल में और आज सब को बेवक़ूफ़ बना कर वो अपने पुराने आशिक के साथ भाग गयी अपने बाप की पगड़ी उछाल कर " अमित की माँ ने कहा
"आंटी जी मेरी दोस्त ऐसी नही हैं, वो अमित से प्यार करती थी और वो अमित की चिट्ठी समझ कर ही उससे मिलने गयी थी " मंजू ने कहा
मंजू की सास उसे यूं इस तरह अपनी दोस्त का पक्ष लेते हुए देख रही थी और बोली " बहु क्या तुम अपनी दोस्त की वजह से अब अपने ससुराल वालो से बेर करोगी "
राकेश ने भी मंजू को रोका और कहा " मंजू बात समझो अगर अमित अंजली को मिलने बुलाता तो अंजली अब तक घर आ गयी होती मुझे लगता हैं अंजली ने हम सब को बेवक़ूफ़ बनाया और किसी और के साथ अमित से मिलने का बहाना बना कर भाग गयी "
"नही आप सब लोग गलत हैं मेरी बेटी कभी भी कोइ ऐसा काम नही कर सकती जिससे मेरा सिर झुक जाए " दुर्जन ने रोते हुए कहा ।
बाहर सब लोग तरह तरह की बाते कर रहे थे । कोइ कह रहा था कि ऐसी बेटी भगवान किसी को ना दे जो शादी वाले दिन किसी और के साथ भाग निकली।
अमित कि माँ अमित का हाथ पकड़ कर ले जाने लगी और बोली नही हो रही यहाँ कोइ शादी चलो अमित घर चलो ।
वो उसका हाथ पकड़ कर ले जा रही थी कि तभी किसी ने अमित का हाथ पकड़ा ।
The traveller
24-Apr-2022 11:24 PM
Behd khoobsurt khani
Reply
Sandhya Prakash
24-Apr-2022 08:30 PM
Ab tk ki kahani shandar h
Reply
Simran Bhagat
21-Apr-2022 07:30 PM
Nice
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